Wednesday, September 21, 2011

सिनेमा एक ऐसी सार्वजनिक दिलचस्‍पी और हसरत से जुड़ा सृजन है, जिसको लेकर हिंदी में साझा विमर्श कम दिखता है।

23 को सिरीफोर्ट आएं, सिनेमा पर होगा दिन भर का विमर्श(MEIN ISS JAGRAN CINE FESTIVAL MEIN KUCCH DER KE LIYE GAYEE THII,MAINSTREAM CINEMA SE ALAG,INDEPENDENT CINEMA SE JUDDI BATON,ANUBHAVON,KATHINAYION,DABAWON KI CHARCHAIYEIN HUIN.AACHHE BATEIN SUNNE KO MILLI KHAAS KER SENSOR BOARD AUR CINEMA PUBLICITY KE DAURAN JO MARKETING ASPECT AUR MONEY MATTER...!
21 September 2011 6 Comments

सिनेमा एक ऐसी सार्वजनिक दिलचस्‍पी और हसरत से जुड़ा सृजन है, जिसको लेकर हिंदी में साझा विमर्श कम दिखता है। मोहल्‍ला लाइव ने पिछले कुछ सालों से कोशिश की है कि ऐसा हो और शास्‍त्रीय अंदाज में न हो – लोकप्रिय अंदाज में हो, ताकि इस विमर्श में हिस्‍सा लेने में किसी को हिचक न हो। कुछ समानधर्मा समूहों के साथ हमने पिछले साल एक विमर्श आयोजित किया था, जिसमें हिंदी सिनेमा से जुड़े कुछ जरूरी नामों के साथ बड़ी तादाद में सक्रिय दर्शकों ने आपस में बातचीत की थी। आप इस लिंक के सहारे पिछली गतिविधि से जुड़े विवरण जान सकते हैं…

http://mohallalive.com/tag/bahastalab-5/

पूरे साल भर तक हम सिनेमा से जुड़े लाइव और वर्चुअल विमर्श आयोजित करते रहे हैं। आप एक नजर दौड़ा सकते हैं…

http://mohallalive.com/category/cinema/

23 सितंबर 2011 को, हम जागरण फिल्‍म फेस्टिवल के साथ मिल कर इस विमर्श की अगली कड़ी पेश कर रहे हैं। इस बार थीम है, Hindi Cinema Beyond Bollywood… बॉलीवुडीय छायाओं से बाहर हिंदी सिनेमा। सिरीफोर्ट ऑडिटोरियम 2 में पूरे दिन चलने वाले इस विमर्श की तफसील ये रही…

पहला सत्र 1:00 – 3:00

बॉलीवुड की मुख्‍यधारा से अलग हिंदी सिनेमा की संभावना, सार्थकता और उपयोगिता

मॉडरेटर : मिहिर पंड्या [युवा सिने आलोचक]
विषय प्रवर्तन : अजय ब्रह्मात्‍मज [वरिष्‍ठ फिल्‍म पत्रकार]
वक्‍ता : अतुल तिवारी [अभिनेता, पटकथा लेखक], प्रवेश भारद्वाज [निर्देशक : मि सिंह मिसेज मेहता], अमोल गुप्‍ते [निर्देशक : तारे जमीं पर, स्‍टेनली का डिब्‍बा], अविजित घोष [लेखक : सिनेमा भोजपुरी], अभिषेक शर्मा [निर्देशक : तेरे बिन लादेन], राजा सेन [फिल्‍म पत्रकार]
हस्‍तक्षेप : उमेश पंत [युवा सिनेकर्मी]

≡ श्रोताओं के साथ खुला सत्र

दूसरा सत्र 3:15 – 5:15

सिनेमा, सृजनात्‍मकता, सेंसर और समाज

मॉडरेटर : वरुण ग्रोवर [गीतकार : दैट गर्ल इन येलो बूट्स, गैंग ऑफ वासेपुर]
विषय प्रवर्तन : वरुण ग्रोवर
वक्‍ता : महेश भट्ट [निर्देशक : अर्थ, सारांश, सड़क...], डॉ चंद्रप्रकाश द्विवेदी [निर्देशक : चाणक्‍य, पिंजर, मोहल्‍ला अस्‍सी], संजय झा मस्‍तान [निर्देशक : प्राण जाए पर शान न जाए, स्ट्रिंग्‍स, मुंबई चकाचक], राजकुमार गुप्‍ता [निर्देशक : आमिर, नो वन किल्‍ड जेसिका], प्रवीण कुमार [निर्देशक : जो डूबा सो पार]
हस्‍तक्षेप : अमित राय [निर्देशक : रोड टू संगम]

≡ श्रोताओं के साथ खुला सत्र

तीसरा सत्र 5:30 – 7:30

हिंदी सिनेमा की मुख्‍य चुनौतियां

मॉडरेटर : प्रकाश के रे [युवा सिनेकर्मी, शोधार्थी]
विषय प्रवर्तन : रविकांत [इतिहासकार, सीएसडीएस फेलो]
वक्‍ता : इरा भास्‍कर [प्रोफेसर, जेएनयू], सैबल चटर्जी [फिल्‍म समीक्षक], राजा सेन [फिल्‍म पत्रकार], अक्षत वर्मा [कथा-पटकथा एवं सह-निर्देशक : देल्‍ही बेली], गौरव सोलंकी [युवा सिनेकर्मी, तहलका हिंदी के स्‍तंभकार]
हस्‍तक्षेप : विनीत कुमार [अभिनेता]

≡ श्रोताओं के साथ खुला सत्र

उपस्थिति : नम्रता जोशी [फिल्‍म एडिटर, आउटलुक], शुभ्रा गुप्‍ता [फिल्‍म एडिटर, इंडियन एक्‍सप्रेस], स्‍वरा भास्‍कर [अभिनेत्री]

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