Sunday, January 2, 2011

उल्फा बिना शर्त शांति वार्ता के लिए तैयार.-रविवार, २ जनवरी २०११

रविवार, २ जनवरी २०११
उल्फा बिना शर्त शांति वार्ता के लिए तैयार.
Posted by Kusum Thakur Sunday, January 02, 2011

(GOOD WISHES FOR PEACE IN NORTH EAST.GOOD STEP...I HOPE IT CONTINUES AND SUSTAIN WITHOUT ANY BARGAINING OR CONDITIONS!!!GOOD NEWS IN A BEGINING OF A YEAR!!...VIBHA)

प्रतिबंधित संगठन, युनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम (उल्फा) के अध्यक्ष, अरविंद राजखोवा को शनिवार तड़के जेल से रिहा कर दिया गया। राजखोवा ने रिहाई के बाद कहा कि उनका संगठन बिना शर्त शांति वार्ता के लिए तैयार है, लेकिन इस बारे में औपचारिक निर्णय जेल में बंद सभी नेताओं की रिहाई के बाद लिया जाएगा।

राजखोवा को गुवाहाटी जेल से जमानत पर रिहा किया गया। एक वर्ष पहले उन्हें बांग्लादेश में गिरफ्तार किया गया था और असम में भारतीय अधिकारियों को सौंप दिया गया था। विशेष टाडा अदालत ने गुरुवार को राजखोवा को जमानत दे दी थी, क्योंकि सरकारी वकील ने राजखोवा की जमानत याचिका का विरोध नहीं किया था।

राजखोवा ने जेल से बाहर कदम रखने के तत्काल बाद संवाददाताओं से कहा, "हम सरकार के साथ बिना शर्त शांति वार्ता के लिए तैयार हैं, लेकिन इसके बारे में औपचारिक निर्णय जेल में बंद सभी नेताओं की रिहाई के बाद हमारी कार्यकारिणी की बैठक में लिया जाएगा।"

जेल के बाहर राजखोवा के परिवार और मित्रों सहित भारी भीड़ ने उनका स्वागत किया।
राजखोवा ने कहा, "मैं इस अवसर पर सिटिजन फोरम (एक नागरिक संगठन, जिसने शांति वार्ता का मार्ग प्रशस्त करने के लिए उल्फा नेताओं की रिहाई की वकालत की थी) को, जिसने हमारी रिहाई के लिए दबाव बनाया और सरकार को भी, जिसने जनभावना का सम्मान करते हुए हमारी रिहाई में सहयोग किया, धन्यवाद देना चाहूंगा।" राजखोवा ने आगे कहा, "लेकिन मैं सरकार से यह भी अपील करना चाहूंगा कि वह जेल में बंद हमारे दो साथियों (स्वयंभू विदेश सचिव) साशा चौधरी और (वित्त सचिव) चित्रबन हजारिका को तत्काल रिहा कर दे। और साथ ही अनूप चेतिया (उल्फा महासचिव, जो कि इस समय 1997 से ही बांग्लादेश में कैद हैं) का भारत आगमन सुनिश्चित कराए ताकि वह भी शांति प्रक्रिया में हिस्सा ले सकें।"

राजखोवा ने कहा, "लेकिन मैं यह बहुत स्पष्ट तौर पर कह देना चाहूंगा कि शांति प्रक्रिया के कारण उल्फा में न तो किसी तरह की दरार आएगी और न कोई विभाजन होगा।" यद्यपि राजखोवा के साथ ही उनकी पत्नी कावेरी और उनके दो बच्चों को भी हिरासत में लिया गया था, लेकिन पुलिस ने परिवार पर कोई आरोप नहीं लगाया था और उसे बरी कर दिया था। राजखोवा का परिवार तभी से पूर्वी असम के शिवसागर जिले के लाकवा में स्थित अपने पैतृक घर मे रह रहा है। मई महीने से जमानत पर रिहा होने वाले उल्फा नेताओं में राजखोवा छठे नेता हैं।
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