Thursday, February 4, 2010

nari samman by....ambrish shrivastava...facebook...mein issse sahmat hoon

नर से नारी है नहीं, नारी से नर होय |
नारी की महिमा अगम, समझ न पावै कोय ||

नारी से ही जग हुआ, अनुपम उसका प्यार |
नारी के सानिध्य से, मीठी सुखद बयार |

माता का वह रूप है , सिर पर उसका हाथ |
पत्नी के भी रूप में, सदा निभाती साथ ||

बिनु नारी होता नहीं, पूरा घर परिवार |
भाभी, भगिनी हैं, सहित उसके रूप हजार ||

नारी को जग पूजता, सब हैं उसके लाल |
देखे जो कुदृष्टि से , खींचो उसकी खाल ||

बेशकीमती बालिका, चाहे हो गर्भस्थ |
अब जैसे भी हो सके , उसको रखो स्वस्थ ||

छोडो रीति कुरीति सब, मिलकर करो प्रयास |
नारी को सम्मान दो , उस पर हो विश्वास ||

--अम्बरीष श्रीवास्तव

1 comment:

Ambarish Srivastava said...

आदि शक्ति नारी सदा, मधुरिम स्वर सम साज|
ममता ही सौन्दर्य है, आभूषण है लाज ||

--अम्बरीष श्रीवास्तव